आज के कलियुग में हम अपनों पर भी भरोसा नहीं कर सकते | इन्हीं बातों के मद्देनजर महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की, कि अपनों से कैसे लड़ा जाए और जरूरी हो तो अपने नाना भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य के विरूद्ध भी हथियार उठा लेना चाहिए | पूरी भगवद गीता सिर्फ और सिर्फ अपनों से लड़ना सीखाती है, वो जो अधर्म का साथ दे रहे हैं |
अगर मोक्ष के रास्ते पर चलना है तो मोह पर कंट्रोल पाना होगा | जब हम मोह पर कंट्रोल स्थापित करेंगे और अपनों से विमुख होंगें तो हम पाएंगे कि अपने अधर्मी होकर हमारे विरूद्ध खड़े हैं | ऐसे समय में सिर्फ कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गीता ज्ञान ही काम आता है |
जब मैं आध्यात्मिक मार्ग पर चला तो सोचा भी न था अपनों का विरोध देखना, सहना पड़ेगा | लेकिन कृष्ण का अर्जुन को दिया गीता ज्ञान काम आया | डट कर हर बात का सामना किया | हर समय साथ ब्रह्म का हो तो डर कैसा | आध्यात्मिक साधक जल्दी ही मृत्यु के डर पर विजय पा लेता है | यह बात जल्द समझ आ जाती है हम मात्र एक साधन हैं, जिस आत्मा ने हमें धारण किया है वह अजर अमर है |
महर्षि वेदव्यास और महाभारत महाकाव्य का आध्यात्मिक सच | Vijay Kumar Atma Jnani