शास्त्रों को माने और समझे तो समझ आएगा कि ब्रह्म ने कुण्डलिनी जागरण के लिए मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर तय कर रखा है | यानी १ करोड़ साल की अवधि | हम इसी जन्म में अध्यात्म की राह पकड़ कर, ध्यान में चिंतन के द्वारा उतर कर अपनी कुण्डलिनी जागृत कर सकते हैं जैसे रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण ने की |
इसी को मुक्ति (जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से छुटकारा हमेशा के लिए) कहते हैं | रामकृष्ण परमहंस बनना आसान नहीं लेकिन असंभव भी नहीं है |
1.1 million manifestations in Human form? मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर | Vijay Kumar