मुझे तीसरा नेत्र जागृत करना है ?


तीसरा नेत्र जागृत करना, आत्मज्ञान प्राप्त करना, ब्रह्म का साक्षात्कार एक ही बात के सूचक हैं | जब आध्यात्मिक साधक पूर्ण कुण्डलिनी जागृत कर सहस्त्रार खोलने में कामयाब हो जाता है तो कहा जाता है तीसरा नेत्र जागृत हो गया | तीसरा नेत्र शिवजी के लिए इस्तेमाल होता है | और शिवजी कौन हैं ? शिवजी के गले में सर्प दिखाएं जाते हैं, यह क्या जाहिर करते हैं ? शिव के गले में सर्प पूर्ण कुण्डलिनी का जागृत होना दर्शाता है |

 

शिव को नीलकंठी क्यों कहते हैं | आध्यात्मिक पुरुष समुद्र मंथन के विष को कंठ में रोक लेता है | विष यानि हमारे जहन में आते negative विचार जो समुद्र मंथन के समय विष में precipitate हो जाते हैं | शिव और कोई नहीं उस आत्मज्ञानी को कहते हैं जिसने आध्यात्मिक मार्ग में तीसरा नेत्र खोलने में सफलता हासिल की | गले में रोके विष के कारण ही रामकृष्ण परमहंस की गले के कैंसर से मृत्यु हुई |

 

तीसरा नेत्र खोलना यानि आध्यात्मिक सफर में महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बन जाना | तीसरा नेत्र खोलने के लिए हमें अध्यात्म में ध्यान के माध्यम से उतरना होगा | धीरे धीरे कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल शुद्ध आत्मा बनना होगा |

 

तीसरा नेत्र को ज्ञान चक्षु भी कहते हैं | आम इंसान अपने मस्तिष्क का 1 ~ 3% इस्तेमाल करता है | बंद पड़ा 97 ~ 99% मस्तिष्क सिर्फ और सिर्फ आध्यात्मिक प्रगति के द्वारा खोला जा सकता है | जब साधक शास्त्रों में निहित ज्ञान के प्रकाश का इस्तेमाल करके अज्ञान के अंधकार को दूर करता है तो उसे अध्यात्म/शास्त्रों में तीसरा नेत्र का खुलना भी कहते हैं |

 

तीसरा नेत्र खुलने का मतलब हमारा brain (मस्तिष्क) अब 100% active हो गया जैसे महावीर, महर्षि रमण इत्यादि | तीसरा नेत्र खोलने के लिए ब्रह्म ने मनुष्य रूप में 1 करोड़ वर्ष की अवधि और 11 लाख योनियों का सफर निमित्त किया है | हम आध्यात्मिक सफर वर्तमान में शुरू कर सकते हैं या 11 लाख में अन्य किसी योनि में |

 

Secret of opening the Third Eye | तीसरा नेत्र खुलने का रहस्य | Vijay Kumar Atma Jnani

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