वैदिक काल में स्त्रियों की शिक्षा के लिए गुरुकुल थे क्या ?


वैदिक काल में पुरुषों और स्त्रियों में कोई भेद नहीं किया जाता था | दोनों को खुल कर पढ़ने लिखने की आज़ादी थी | स्त्रियों को गुरुकुल जाकर पढ़ने लिखने की पूर्ण आज़ादी थी | अगर कोई स्त्री जीवन में पढ़ लिखकर आगे बढ़ना चाहती थी तो समाज की तरफ से कोई पाबंदी नहीं थी | स्त्रियां बिल्कुल स्वछंद वातावरण में जीती थीं बिना किसी पाबंदी के |

 

स्त्रियों की शिक्षा पर लगाम कुछ ब्राह्मण वर्ण के शास्त्रियों ने लगाई वह भी बिना किसी औचित्य और नियमावली के | जब वैदिक काल में स्त्रियों पर कोई पाबंदी नहीं थी तो शुक्राचार्य से प्रभावित कुछ ब्राह्मणों ने इतना ओछा काम क्यों किया – शायद मुगलों और अंग्रेजों से ख्याति पाने के चक्कर में ? अंततः उन्हें गलत काम का सिला मिल ही गया – समाज ने उनके कुकृत्यों को पहचान ही लिया |

 

आज के समय में कोई भी विद्वान इस बात को भलीभांति समझ सकता है कि कुछ ब्राह्मणों के प्रपंचों के कारण भारत में स्त्रियों में पढ़ने लिखने की प्रथा मध्यकाल में दब सी गई | लेकिन सच उजागर होने के बाद आज स्त्रियां पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं | आने वाले समय में 2032 के पश्चात हमें गार्गी जैसे विदुषी स्त्रियां फिर देखने को मिलेंगी |

 

सिर्फ पढ़ने लिखने की कला में ही नहीं – 2032 पश्चात झांसी की रानी रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे सशक्त टुकड़ी होगा जो किसी भी दुश्मन सेना को टक्कर दे सके | Israel की Mossad से भी दो कदम आगे | आने वाले समय का दर्शन अनुभव वाला होगा – बस इंतजार कीजिए | भारतीय नारी की शक्ति अपरंपार है | अब वह पर्दे के पीछे से नहीं आगे से वार करेगी |

 

2024 से 2032 तक का समय आध्यात्मिक दृष्टिकोण से | Vijay Kumar Atma Jnani

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