क्या आप समझते हैं ऐसा करना practically संभव है ? आज के समय में अच्छा ज्ञानी पुरुष/ तत्वज्ञानी मिल जाएगा ? अगर मिल भी गया तो 800 करोड़ लोगों में एक – आपको कितना समय दे पाएगा ?
अगर हमें भारतीय दर्शन शास्त्रों का अध्ययन करना है तो इसमें गुरु की कोई आवश्यकता नहीं और तत्ववेत्ता मिलेगा नहीं | महर्षि रमण आखिरी तत्ववेत्ता थे जो 1950 में अपना शरीर त्याग गए |
जब हम पहली बार शास्त्रों में उलझते हैं तो सभी कुछ मुश्किल जान पड़ता है लेकिन थोड़े अभ्यास के बाद कुछ कुछ समझ आने लगता है | अध्यात्म में गहराइयों में छिपे तत्व तक पहुंचने का एक ही तरीका है – चिंतन का मार्ग | जैसा महर्षि रमण कहते हैं – शवासन की मुद्रा में लेटकर ध्यान में उतरना चिंतन के माध्यम से |
एक बारहम चिंतन करना सीख जाएं तो मेरा दावा है कि आप इसी जन्म में ब्रह्म तक पहुंचने में कामयाब होंगे | आध्यात्मिक सफर में जब हम किसी पहलू पर अटक जाते हैं और कोई रास्ता नहीं मिल रहा तो तत्वज्ञानी गुरु की आवश्यकता महसूस होती है | इसी कारण महर्षि रमण चारपाई पर लेटकर साधकों की शंकाएं दूर करते थे |
मुझे जब जीवन में कोई आत्मज्ञानी गुरु नहीं मिला तो एक दिन हताशावश ब्रह्म से पूछा – क्या आप मेरे गुरु बनोगे तो आवाज़ आई – हां ! मैं आधे घंटे सिर पकड़े बैठा रहा, विश्वास ही नहीं हो रहा था | लगभग 2 1/2 साल से किसी कैवल्य ज्ञानी गुरु को ढूंढ़ ढूंढ़ कर थक चुका था |
अनजाने में हिम्मत करके स्वतः ही अंदर से आवाज़ निकली – पहले नहीं कह सकते थे ? ब्रह्म बोले – तूने पहले पूछा ही नहीं ! गुस्से से लाल मेरे चेहरे को देख शायद ब्रह्म बहुत खुश थे | कितने जोर से ठहाका मारकर हंसे थे | शायद बताना चाह रहे थे इतनी चिंता भी मत किया कर |
हर आध्यात्मिक साधक को एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए – कृष्ण (सारथी) और कोई नहीं बल्कि हमारे हृदय में स्थित हमारी अपनी आत्मा है | 5 वर्ष की आयु से जो हृदय से आवाज़ आती थी – मैं साफ सुन सकता था | पर उस समय यह मालूम नहीं था यह आवाज़ किसकी है | सत्यवादी होने के कारण पूरी जिंदगी हृदय से आती आवाज़ सुनता आया हूं और आज भी साफ सुन सकता हूं |
मेरा सभी साधकों से निवेदन है कि गुरु खोजने से अच्छा है सत्य की राह पकड़ हृदय से आती कृष्ण की आवाज़ सुनना शुरू कर दें | आध्यात्मिक सफर आसान ही नहीं हो जाएगा, हमें अपने अंदर उमड़ते हर प्रश्न का उत्तर भी मिलना शुरू हो जाएगा |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar