अध्यात्म की राह पर भगवान ने पुरुषों और नारियों में कोई भेद नहीं किया | फ़र्क केवल इस बात का है की नारियों में मोह की भावना कूट कूट कर भरी है | यह मोह ही है जिस कारण नारियां घर से बंधी रहती हैं और बच्चों को बखूबी पालने/बड़ा करने में सक्षम हैं |
इसी अड़चन के कारण भारत के 10,800 वर्षों के गौरवशाली इतिहास में अब तक सिर्फ 2 नारियों को मोक्ष प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ – संत गार्गी और Maitreyi (महर्षि याज्ञवल्क्य की दूसरी पत्नी) |
इसी दुविधा के कारण शास्त्र यहां तक कहते हैं कि नारियों को मोक्ष लेने के लिए पुरुष योनि में आना ही होगा | नारियां ब्रह्मचर्य का पालन कर पुरुषों की भांति सातों चक्र जागृत कर तत्वज्ञानी बन सकती हैं |
What is Moha | मोह क्या है | Vijay Kumar Atma Jnani