पानी को गर्म किए बिना क्या भांप बनाई जा सकती है | हां या नहीं ? पहाड़ों पर चढ़े बिना क्या माउंट एवरेस्ट पहुंचा जा सकता है ? मुक्ति के द्वार तक पहुंचने के लिए ब्रह्म ने मनुष्य योनि में १ करोड़ साल का जीवन दिया है, ११ लाख योनियों का लंबा सफर ! मेहनत तो करनी ही होगी | कोई escape route नहीं | आखिरकार महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बनना इतना आसान थोड़े ही है |
शरीर को आत्मा धारण करती है तो परेशानी किस बात की ? इस जीवन में अगर हम आध्यात्मिक सफर के लिए तैयार हैं तो ठीक है नहीं तो, हमारी आत्मा जो भी अगली योनि लेगी, उसके लिए भी छोड़ सकते हैं | यह अलग बात है कि अगर अगली योनि महिला की मिली तो मुश्किल होगी, क्योंकि महिलाएं मोह से बंधी होती हैं और अध्यात्म में उतरना उनके लिए बेहद कठिन हो जाता है |
पूरे मानव इतिहास में अभी तक दो महिलाओं गार्गी और मैत्रैयी को तत्व ज्ञान प्राप्त करने का श्रेय है | जब साधक ब्रह्मचर्य का पालन कर कुण्डलिनी जागरण करता है, यह क्रिया अपना समय लेती है | जैसे जैसे कुण्डलिनी ऊपर उठती है चक्र स्वयं जागृत होते हैं |
अगर हमारे अंदर स्वामी विवेकानंद वाली कर्मठता है तो संभव है हम सब कुछ इसी जन्म में प्राप्त कर लें | पांचों इंद्रियों और फिर मन पर पूर्ण कंट्रोल स्थापित करना बेहद कठिन है लेकिन नामुमकिन नहीं |
अध्यात्म और भेड़ चाल | Vijay Kumar Atma Jnani