इस मानव जीवन के लक्ष्य को कैसे पहचानूं और सांसारिक जीवन को सफल बनाऊं ?


अपने जीवन के लक्ष्य को पहचानने के लिए हमें सत्यमार्ग पर चलना होगा – और कोई चारा नहीं | जब हम सत्य की राह पर चलते हैं तो हृदय से आती आत्मा (यानी हृदय में स्थित सारथी कृष्ण) की आवाज़ को साफ सुन सकते हैं | यह हृदय से आती आवाज़ हमेशा सही guide करती है | 5 वर्ष की आयु में ब्रह्म से पहली मुलाक़ात हुई और 6 1/2 वर्ष की आयु में जीवन का लक्ष्य तय |

 

मैंने 6 1/2 वर्ष की उम्र से भगवान की खोज शुरू की | एक ही जीवन है, यह सोच कर कभी ढील नहीं दी | हमेशा प्राथमिकता ब्रह्म की खोज को दी | समय समय पर ब्रह्म से बात होती रही – जिस प्रश्न पर अटक जाता ब्रह्म से जवाब मिल जाता | सत्य का मार्ग एक क्षण के लिए भी नहीं छोड़ा | आखिरकार यह सत्य ही तो है जिस पर सवार होकर हम ब्रह्म से बात कर पाते हैं|

 

सत्य ब्रह्माण्ड की वह ताकत है जिसके ऊपर कुछ नहीं | सत्य ब्रह्म को ही represent करता है | भौतिक जगत में सत्य की राह पर चलता साधक दर दर की ठोकरें खाएगा लेकिन आध्यात्मिक जगत का वह बेताज बादशाह रहेगा | बस यही कीमत चुकानी पड़ती है एक सच्चे साधक को | अध्यात्म की राह पर परिवार के कोई मायने नहीं – वह तो बिखर ही जाएगा |

 

आध्यात्मिक होने से पहले हमें यह सच्चाई जान लेनी चाहिए कि आध्यात्मिक व्यक्ति हमेशा अकेला ही होता है | सत्य की राह पर चलना उसकी मजबूरी है जिसे वह कभी भी त्याग नहीं सकता | तो अगर हम अपने जीवन का लक्ष्य खोजना चाहते हैं तो सत्य की राह पकड़ हृदय से आती आवाज़ सुने | शुरू में तो आवाज़ धीमी सुनाई देगी लेकिन बाद में बिल्कुल clear.

 

What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani

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