जीवन का उद्देश्य केवल जन्म मृत्यु और भोग तक सीमित है या कुछ अधिक ?


मनुष्य जीवन का उद्देश्य मनुष्य का बनाया हो ही नही सकता | क्यों ? कारण है मनुष्य की ब्रह्म और आत्माओं के साम्राज्य में कोई सत्ता नहीं | मानव शरीर तो आत्मा ने धारण किया है तो जीवन का उद्देश्य भी आत्मा का हुआ |

 

अपने भीतर की अशुद्धियों को जल्दी से जल्दी निरस्त करने के लिए आत्मा चाहती है मनुष्य अध्यात्म की राह पकड़ मोक्ष ले ले | तो महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बनना हर इंसान के जीवन का आखिरी goal है |

 

अध्यात्म में उतर चाहे हम तत्वज्ञानी वर्तमान में बन जाएं या फिर अगली किसी योनि के लिए छोड़ दें, यह हमारी इच्छा है | एक दिन 84 लाखवी योनि में स्थापित होना हमारे जीवन का आखिरी लक्ष्य है | तभी हमारी आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से मुक्त होकर हमेशा के लिए ब्रह्मलीन हो सकेगी |

 

What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani

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