क्या हमने कभी यह सोचने की कोशिश की है कि महाभारत ग्रंथ में चिन्हित अर्जुन हम खुद ही हैं ? महाभारत महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसमें अर्जुन सिर्फ एक पात्र है | महाभारत ग्रंथ रचने का कारण क्या है ? कोई तो गहन वजह होगी | जब आम इंसान को वेदों का ज्ञान, सार समझ नहीं आया, यहां तक scholars को भी समझने में दिक्कत हो रही थी तो वेदव्यास जी को महाभारत काव्य की रचना करनी पड़ी |
सम्पूर्ण गीता ज्ञान क्या कहता है कि अर्जुन आम इंसान है | उसके हृदय में आत्मा कृष्ण रूप में विद्यमान है | अपने को पृथ्वी के भंवर जाल से निकालने के लिए, जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से मुक्त होने के लिए हमें अपनी आत्मा यानी भगवान कृष्ण के गीता ज्ञान की जरूरत है | अगर एक आम इंसान सत्य के रास्ते पर चलकर हृदय में स्थित भगवान कृष्ण की वाणी को समझ लेता है तो काम हो गया | वह साधक इसी भव में, इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस बन जाएगा |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar