भौतिक जीवन में रोटीरोजी कमाने के लिए ज्ञान उतना जरूरी नहीं – बिना ज्ञान के भी इंसान अपना और परिवार का गुजारा चला सकता है – अनुभव के आधार पर | लेकिन अगर हम जानना चाहें जीवन के छिपे रहस्यों के बारे में – तो ज्ञानमार्ग पर चलना ही होगा | ऐसा क्यों ?
आम इंसान का मस्तिस्क सिर्फ 2~3% इस्तेमाल होता है – बाकी बंद पड़ा है | यह बंद पड़ा मस्तिष्क का हिस्सा सिर्फ और सिर्फ ज्ञानमार्ग पर चलकर खुल सकता है | अगर हम अध्यात्म में रूचि रखते हैं – ब्रह्मलीन होना चाहते हैं तो ज्ञान पथ पर चलना ही होगा |
जैसे जैसे हम ध्यान करेंगे मस्तिष्क activate होता जाएगा – धीरे धीरे खुलने लगेगा – 3%, फिर 5% और स्वामी विवेकानंद की स्थिति तक पहुंचते पहुंचते 95% brain खुल चुका होगा और रामकृष्ण परमहंस बनते ही 100% एक्टिवेट हो जाएगा |
ज्ञान का एक ही काम है – ज्ञान के प्रकाश से हमारे अंदर निहित अज्ञान के अन्धकार को दूर करना | यह ज्ञानयोग का रास्ता ही तो है जिस पर चलकर अंततः तत्वज्ञान होता है |
What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani