मनुष्यों को 84 लाखवी योनि में स्थापित होने के लिए, मोक्ष लेने के लिए जिस ज्ञान की आवश्यकता पड़ेगी – वह सब भारतीय दर्शन शास्त्रों जैसे वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता में मौजूद है |
शास्त्र कहते हैं हम मूलतः एक आत्मा हैं, ब्रह्मांडीय सफर में अशुद्धियों से लिप्त हो गए और इन्हीं अशुद्धियों से छुटकारा पाने के लिए आत्मा 84 लाख योनियों के फेर से गुजरती है | 73 लाख योनियां पार कर आत्मा पहली बार मनुष्य योनि धारण करती है |
मनुष्य 11 लाख योनियों के चक्रव्यूह से निकलकर मोक्ष कैसे प्राप्त करें – बस यही तत्वज्ञान हमारे शास्त्रों में निहित है | शास्त्र कहते हैं तत्वज्ञानी बनने के लिए हमें अध्यात्म का रास्ता लेना होगा – ज्ञानयोग का रास्ता | आज के समय में सिर्फ भक्तियोग या कर्मयोग के द्वारा ब्रह्म तक नहीं पहुंच सकते |
What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani