सही ज्ञान से क्या तात्पर्य है ?


हम ज्ञान को मूलतः दो भागों में बांट सकते हैं –

 

1.. किताबी ज्ञान जो हम पुस्तकों के माध्यम से अर्जित करते हैं – स्कूल, कॉलेज, university इत्यादि से | इस भौतिक विषयक ज्ञान की हमें जरूरत पड़ती है आजीविका के लिए यानि रोटी रोज़ी का साधन |

 

2.. जीवन की व्यस्तता से हटकर जब हम भगवान इत्यादि के बारे में सोचते हैं तो सैकड़ों प्रश्न मन में आते हैं – हम कौन हैं, कहां से आए हैं, कहां जाना है, भगवान कौन होते हैं, उनसे हमारा क्या रिश्ता है इत्यादि |

 

बस इन्हीं प्रश्नों के उत्तर ढूंढने के लिए हमें सत्य का सहारा लेकर अंतर्मुखी हो चिंतन में उतरना होता है | जैसे पहुंचे हुए ऋषियों ने सीधे ब्रह्म से वेद उद्धवेलित किए उसी प्रकार हम अपने प्रश्नों के उत्तर खुद ही ढूंढते हैं | सत्यमार्ग पर चलते हुए जैसे यह सिलसिला आगे बढ़ता है – हम देखेंगे कि उत्तर स्वयं ऊपर से उतरने लगते हैं |

 

यह जो आध्यात्मिक ज्ञान हम सीधे ब्रह्म से प्राप्त करते हैं – यही सच्चा और सही ज्ञान है जिसके द्वारा धरती पर स्थित हर मनुष्य अंततः तत्वज्ञानी बन मोक्ष पा जाता है | भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान – दोनों अपनी अपनी जगह सही हैं | और ज्यादा नीचे ज्ञानयोग के वीडियो में देखें –

 

What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani

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