कहते हैं कोई इनसान perfect नहीं – क्या यह सच है ?


Perfect हों जाएं तो महावीर, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण आदि नामों से पुकारे जाएंगे | अध्यात्म में perfection उस दिन आता है जब ब्रह्म से साक्षात्कार होता है, उससे पहले नहीं | ब्रह्म से साक्षात्कार तभी होता है जब हम कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर लेते हैं |

 

मनुष्य क्या, अपने ब्रह्मांडीय सफर में हर आत्मा अशुद्धियों से लिप्त हो जाती है | इन्हीं अशुद्धियों को दूर करने के लिए आत्मा ८४ लाख योनियों के चक्र से गुजरती है जिसमें ११ लाख योनियां मनुष्य रूप में हैं | आध्यात्मिक दृष्टि से धरती पर हर मनुष्य का जीवन लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है | मोक्ष वह स्थिति है जब मनुष्य कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर जन्म मरण के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है |

 

Are there 8.4 million species on Earth? चौरासी लाख योनियों का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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