एकान्त में साधना करते संन्यासियों के लिए आन्तरिक ऊर्जा प्राप्त करना आसान है – क्या गृहस्थी ऐसा कर पाएंगे ?


अध्यात्म में उतरने के लिए दो बातें जरूरी हैं –

 

1.. अखंड ब्रह्मचर्य का पालन 12 वर्ष के लिए

अखंड ब्रह्मचर्य से तात्पर्य है कि वीर्य की एक भी बूंद का स्त्राव वर्जित है | हमें महर्षि विश्वामित्र नहीं बनना है | 95% ब्रह्मचर्य मानसिक होता है – 12 वर्षों तक हमारे विचारों में नकारात्मक विचार न आएं | यह मानसिक ब्रह्मचर्य अमल में लाना बेहद कठिन है – जिस साधक में स्वामी विवेकानंद जैसी गुणवत्ता है वहीं इसका पालन कर सकता है |

 

कोई भी गृहस्थ 12 वर्ष के लिए इस तपस्या में लीन हो सकता है | 12 वर्ष का अखंड ब्रह्मचर्य हमारी कुण्डलिनी को पूर्ण जागृत कर देता है और सहस्त्रार खुल जाता है |

 

2.. 12 वर्ष की ध्यान साधना (तपस्या)

अपने अंदर उमड़ते हजारों प्रश्नों को जड़ से खत्म करना यानि उनके मर्म तक पहुंचना | यह संभव हो पाता है चिंतन (contemplation) के द्वारा | सही चिंतन 24 घंटे किया जा सकता है | जब साधक 24 घंटे ध्यान लगाना सीख जाए तो आध्यात्मिक सफर आसान हो जाता है | जिस दिन एक भी प्रश्न हमारे अंदर न आएगा न बाहर जाएगा तो निर्विकल्प समाधि की स्थिति आ जाएगी |

 

महावीर और बुद्ध ने 12 वर्ष ध्यान में बिताए – तब जाकर तत्वज्ञानी बने | अध्यात्म में शून्य की स्थिति आने में 12 वर्ष जरूर लगते हैं लेकिन किसी भी गृहस्थ के लिए यह संभव है |

 

How to indulge in Spirituality when married | गृहस्थ जीवन में अध्यात्म का रास्ता कैसे पकड़ें

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