दण्ड किसी समस्या का पूर्ण समाधान नहीं


दण्ड कभी भी किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता और न ही दंडात्मक विचार | समस्या का निदान सोचने में नहीं करने में है | समस्या को हमेशा जड़ से खत्म करना चाहिए | समस्या जड़ से खत्म ही न हो इसलिए कोर्ट कचहरी का सहारा लिया जाता है | अगर समस्याएं जड़ से खत्म होने लगें तो वकीलों और दलालों की रोटी रोजी का इंतजाम कहां से होगा | वक़्त का फेर है होकर ही रहेगा | कलयुग खत्म होने को है – घोर कलयुग चल रहा है | अब कुछ ही समय बाद आप छत्तम छत्त्था होते हुए देखेंगे यानी तृतीय विश्व युद्ध | आने वाले समय में दंड इंसान नहीं प्रकृति देगी | ऐसी विभीषिका जिसकी कल्पना भी असंभव है | हिरोशिमा नागासाकी जैसे 140 एटॉमिक विस्फोटों के बाद धरती मां पर बचेगा क्या ?

 

कोरोना वायरस के माध्यम से ब्रह्म ने मनुष्यता को सचेत करना चाहा लेकिन प्रभु की सुनता कौन है ? लेकिन आने वाले समय में सब सुनेंगे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकेगी | 140 करोड़ लोगों की मृत्यु के बाद एक नए साम्राज्य का उदय होगा – स्वर्ण युग जो भारत से राजा विक्रमादित्य के बाद प्राय लुप्त हो गया| आने वाला अवतार कल्कि द्रोह की भावना से ग्रसित नहीं होगा | इंसानियत फिर से फले फूलेगी | अधार्मिक कृत्यों से जनमानस दूर हो चुका होगा | जब दंड देने की भावना ही लुप्त हो जाएगी तो दंड मिलेगा कैसे और किसे ? माफी का प्रावधान भी खत्म हो चुकेगा – अगर किसी को मिलेगा भी तो मृत्युदंड | सोचिए कौन ऐसे कार्यों में लिप्त होगा कि मृत्युदंड का भागी बने ?

 

सतयुग यूंही नहीं आ जाता | किसी अवतारी पुरुष को मेहनत करनी पड़ती है – मेहनत ऐसी की जनता उस अवतार को भगवान के समकक्ष मानने लगती है | भारत में रह रहे लोगों से एक निवेदन है – आने वाले समय में आंखें खोल कर रखें | स्वर्णयुग की शुरुआत भारत से ही होगी | कल्कि के आने की आहट मिलते ही पूर्ण संयम से उसके कार्यों में भागीदार बने – अड़चन नहीं | वो लोग जो कल्कि का साथ देंगे सिर्फ भाग्यवान ही नहीं होंगे बल्कि उन्हें शास्त्रों का छिपा ज्ञान पाने का मौका भी मिलेगा |

 

भारत अखंड भारत कब तक बनेगा – 2032? Vijay Kumar Atma Jnani

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