हम भारतवासी धरती को धरती मां क्यों कहते हैं ? गाय को गाय माता क्यों कहते हैं ? स्त्रियों को मान देना विशुद्ध भारतीय परंपरा है | कोई भी मानव जन्म बिना मां के संभव नहीं | भगवान के बाद दूसरा नाम मां का है जो 9 महीने बच्चे को गर्भ में रखती है |
भगवान और साधक के बीच जो प्रेम का रिश्ता है वहीं मां और बच्चे के बीच | भारत में बच्चे के सामने कोई मां का अहित कर के तो देखें | जान चली जाएगी मुंह पर उफ्फ भी नहीं आएगी | वो मां ही थी जिसके कारण आज मैं हूं नहीं तो 5 वर्ष की आयु में निबट गया होता |
पूरे जीवन मैंने मां को भगवान का दर्जा दिया | मुझे याद नहीं मैंने मां की एक भी बात की अवमानना की हो |
अध्यात्म की राह पर चलते मैंने ब्रह्म को हमेशा सनातन पुरुष माना, पूरे ब्रह्मांड का रचयिता | और धरती को मां क्योंकि अगर धरती मां मुझे आत्मन रूप में आश्रय नहीं देती तो मेरा 84 लाख योनियों का सफर पूरा कैसे होता ?
मैं अब 67 का हूं | बचपन की आदत गई नहीं | जब किसी भी स्त्री से मिलता हूं तो नजर पैरों में होती है | शायद राम का ज्यादा असर है या हनुमानजी का | कितनी ही भाभियां पत्नी से शिकायत करती हैं कि हम सड़क पर जाते हुए नमस्ते करती हैं और भाईसाहब जवाब ही नहीं देते, नीचे देखते रहते हैं |
शायद अखंड ब्रह्मचर्य में उतरते वक़्त लिया गया प्रण ज्यादा लंबा खिंच गया | नुकसान तो ज्यादा नहीं फायदा ही हुआ | मैंने पूरे जीवन नारियों को धरती मां की बेटी माना – तो आदर का भाव अपने आप उत्पन्न हो गया |
मन में स्त्रियों के प्रति गलत भाव न आए – वह इंसान तो वैसे भी राम की श्रेणी में आ गया | मर्यादा को कायम रखने वाला इंसान ! भारत में ऐसे लोगों की कमी भी नहीं |
बचपन से जीवन में एक कसक तो है | नारियों के प्रति मेरा सम्मान उस दिन पूरा होगा जब 2032 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई नामक सेना की एक टुकड़ी न बना लूं, Mossad, Israel की तर्ज पर | एक ऐसी जांबाज फौज जिसका दुनिया में कोई parallel नहीं होगा |
मुझे ब्रह्म पर पूरा भरोसा है | शायद सुभाष चन्द्र बोस को भी एक भावभीनी श्रद्धांजलि – उभरते विश्व गुरु भारत की तरफ से |
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