क्या दान कर्म का फल अगले जन्म में मिलेगा ?


दान करना धार्मिक कर्मकांडो के तहत आता है | धर्म (आजकल लोग religion को ही धर्म मानते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है) के रास्ते पर चलकर आध्यात्मिक उन्नति zero रहती है | फिर भी लगभग सारी दुनिया धार्मिक अनुष्ठानों में लगी रहती है इस उम्मीद में कि शायद मोक्ष हो जाए | मोक्ष तो छोड़िए अगर मनुष्य जन्म भी मिल जाए तो गनीमत होगी – क्योंकि हर समय पापकर्म में जो लगे हैं |

 

भगवान के दरबार में दान देने का कोई महत्व नहीं | जो हम कर रहे हैं खुद के भले के लिए कर रहे हैं | भगवान के दरबार में रिश्वत चलती नहीं | मंदिरों में दिया दान क्या भगवान को जाता है – क्या भगवान को हमारे पैसे चाहिए ? दान करने से किसी भी प्रकार का पुण्य नहीं मिलता | हां ! बिना किसी लालच के हमने अगर किसी गरीब परिवार की मदद की तो थोड़ा बहुत पुण्य मिल सकता है |

 

सोच कर देखिए ! ईमानदारी से कमाए पैसे कोई दूसरों पर खर्च नहीं करता, क्यों – उतने पैसे तो हमे अपना परिवार पालने में ही खर्च हो जाते हैं | जितना चढ़ावा मंदिरों में आता है वह ऊपर की कमाई का होता है ( ईमानदारी की कमाई का सिर्फ गरीब दान करता है – वो गरीब जिसके पास दो वक़्त की रोटी खाने के पैसे नहीं) | ऊपर की कमाई और वह भी भगवान के खाते में – पाप नहीं तो और क्या लगेगा |

 

अध्यात्म का principle साफ है – कर्मों की निर्जरा करों निष्काम भावना से | तभी आध्यात्मिक उन्नति होगी | कर्मफल से चिपके रहोगे तो कुछ हाथ नहीं लगेगा | 63 वर्ष के आध्यात्मिक जीवन में अभी तक पूरे विश्व में 10 लोग भी नहीं मिले जो अध्यात्म को सही तरीके से समझते हों |

 

पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.