मजबूरन मुझे अपने कुलदेवता के मंदिर में पशु बलि देनी पड़ती है


कुछ भी धार्मिक क्रिया करने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि इसका अध्यात्मिक लाभ क्या होगा ? आज के समय में धार्मिक कर्मकांडो से भगवान के नजदीक नहीं पहुंच सकते तो उलझना ही क्यों | उल्टा पशु हत्या का पाप लगेगा ?

 

अध्यात्म पशु बलि की इजाज़त नहीं देता | अगर हम प्रभु को खुश करना चाहते हैं तो सभी के साथ सम व्यवहार करें, किसी का अहित न करें और हर कर्म को निष्काम भाव से करें | ऐसा करने से दिन दूनी रात चौगुनी अध्यात्मिक उन्नति होगी | कर के तो देखें |

 

पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani

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