ब्रह्म ने – ध्यान में उतरकर, ब्रह्म तक पहुंचने के लिए १ करोड़ वर्ष की अवधि दी है, मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का लंबा सफर | ध्यान करते वक़्त मन तो भटकेगा ही, हम यह उम्मीद तो नहीं कर सकते पहली attempt में सफल हो जाएंगे |
रामकृष्ण परमहंस एक ही योनि में रामकृष्ण परमहंस बन ब्रह्म का साक्षात्कार कर गए, ऐसा नहीं है | न जाने कितने जन्म पहले से कोशिश, आध्यात्मिक सफर जारी था ? हां अपने जीवन काल में उन्होंने इस जीवन को आखिरी बना दिया और जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो गए |
भगवद गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कोशिश करना हमारा फ़र्ज़, ध्येय है, फल देना भगवान (ब्रह्म) का काम | तो फिर चिंता क्यों ? विचारों में खोना ही चिंतन है | लेकिन हमें लक्ष्य clear होना चाहिए हम चाहते क्या हैं |
कितने ही साधक कुण्डलिनी जागरण में उलझ जाते हैं बिना सोचे समझे | कुण्डलिनी जागरण कैसे करना है, कुछ नहीं मालूम | आधे रास्ते जब अटक जाते हैं तो बाहर निकलने का उपाय ढूंढते हैं | कभी कभार देर हो जाती है तो depression के मरीज हो जाते हैं | कई cases में साधक suicide के मुहाने तक पहुंच गए |
तो ध्यान में उतरने से पहले साधक, पूरे जीवन में आध्यात्मिक सफर कहां तक करेंगे तय कर लें | फिर पूरे वेग के साथ ध्यान में उतर जाएं चिंतन के मार्ग से | हर अनावश्यक विचार को जड़ से खत्म करने की कोशिश करें |
इस बात पर विचारे कि हम कौन हैं, कहां से आए हैं, कहां जाना है इत्यादि | धीरे धीरे हमारे प्रश्न जोर पकड़ लेंगे, बीच बीच में ब्रह्म से निवेदन करते जाएं, अपने प्रश्नों के उत्तर तो मैं लेकर ही रहूंगा, पीछे हटने के लिए थोड़े ही आया हूं | एक समय ऐसा आयेगा जब भटकन कम हो जाएगी और हमे अपने प्रश्नों के उत्तर मिलने शुरू हो जाएंगे |
कुछ उत्तर ऐसे होंगे जो शुरू में समझ नहीं आएंगे, समय लगेगा तो घबराए नहीं |
मुझे सिर्फ तीन शब्दों का उत्तर समझ आने में पूरे १५ साल लगे | जानना चाहता था धर्म, religion और अध्यात्म का आपस में क्या रिश्ता है | है कोई इंसान धरती पर जो इस उत्तर के लिए १५ साल इंतज़ार करें, लेकिन मैंने किया, ब्रह्म पर पूरा भरोसा था | जब समझने लायक हो गया, ऊपर से उत्तर उतर आया, १५ साल बाद ही सही |
शाब्दिक अर्थों की बात नहीं कर रहा हूं, अंदर छिपे तत्व की बात कर रहा हूं |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani