ध्यान में उतरने का सही तरीका चिंतन का माध्यम है | हम ध्यान २४ घंटे, हफ्ते के सात दिन और साल के ३६५ दिन लगातार एक पल भी रुके बिना कर सकते हैं | अगर ध्यान की सही विधि आ जाए तो स्वामी विवेकानंद बनने में १२ वर्ष ही लगेंगे |
ध्यान का कोई परिणाम नहीं होता, बस आप हर समय चिंतन में लीन, डूबे रहते हैं | इसका मतलब यह नहीं आप अपने रोजमर्रा के कार्य नहीं करते | भौतिक तौर पर आप अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं लेकिन अंदर ही अंदर साथ साथ चिंतन भी चलता रहता है |
सिर्फ जागते हुए ही नहीं, सोने के पश्चात भी आपका चिंतन चालू रहता है लेकिन सुप्तावस्था में | आध्यात्मिक उन्नति के लिए जिस ध्यान की आवश्यकता होती है वह सिर्फ और सिर्फ चिंतन के द्वारा ही हो सकता है | चिंतन जिसे english में contemplation कहते हैं का मतलब होता है, अपने अंदर उमड़ते हजारों प्रश्नों के अंदर छिपे सत्य, तत्व को ढूंढना और प्रश्नों को जड़ से उखाड़ फेंकना, निर्मूल कर देना |
जब हम सत्य अन्वेषी हो जाएंगे तो प्रभु, ब्रह्म तक पहुंचने के लिए हम अपने अंदर आते और बाहर जाते विचारों को जड़ से खत्म करते जाएंगे और एक दिन ऐसा आएगा जब एक भी विचार न तो अंदर आएगा न अंदर से बाहर जाएगा और शून्य की स्थिति आ जाएगी | इसी stage को निर्विकल्प समाधि की अवस्था कहते हैं | और अंततः साधक को कैवल्य ज्ञान हो जाएगा और फिर मोक्ष |
मनुष्य रूप में भगवान, ब्रह्म ने साधक को निर्विकल्प समाधि की अवस्था तक पहुंचने के लिए ११ लाख योनियों का सफर दिया है जिसको पूरा करने के लिए लगभग १ करोड़ वर्षों की अवधि भी दी है | यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अध्यात्म, ध्यान का रास्ता पकड़ किस योनि में ध्यान की उच्चतम व्यवस्था यानि निर्विकल्प समाधि की स्थिति में पहुंचने के लिए सक्षम हो पाते हैं | अभी इस जन्म में, ४ योनियों बाद या फिर ४० योनियों के सफर के बाद |
Maximum ११ lakh योनियों का सफर और goal ब्रह्म तक पहुंचना ! यह संभव होगा अध्यात्म, ध्यान, चिंतन के द्वारा | तभी हम तत्वज्ञानी रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बन हमेशा के लिए मोक्ष प्राप्त कर, जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से बाहर निकल सकते हैं |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani