पिछले समय में जो भी इंसान साधु बनता था उसका एक ही ध्येय होता था – अध्यात्म में प्रगति | गुरु बनाते भी थे तो सिर्फ शंकाएं दूर करने के लिए | आज का साधु मंडली में रहता है, समाज से जुड़ा रहता है, और कुछ को मौका मिले तो गुरु की गद्दी हथियाने को तैयार |
समय के साथ ध्येय बदल गया, इंसान बदल गया, आज उसे सब सुख सुविधाएं चाहिएं अगर मिल सकें तभी | एक समय था जब दोनों राजकुमारों महावीर और सिद्धार्थ गौतम के पास राज्य की सब सुख सुविधाएं थी | सब कुछ त्याग निकल गए सत्य की खोज में |
क्या आज के साधुओं के अंदर है ऐसी लगन ? तपस्या में बैठे होंगे लेकिन सोच रहे होंगे कुछ और ? ध्यान करना तो दूर, ध्यान के मायने नहीं मालूम ?
सबसे ताज्जुब की बात – आज के समय के चित्र और विडियोज के thumbnails देख लीजिए – ध्यान की मुद्रा में बैठी होगी अर्ध नग्न विदेशी महिलाएं – जिन्हें अध्यात्म का abcd नहीं मालूम, न लेना देना | वीडियो किसके – पहुंचे हुए आध्यात्मिक गुरुओं, साधुओं के ???
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani