अध्यात्म में सही ध्यान लगाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है –
1.. मनुष्यों को ध्यान की जरूरत ही क्यों पड़ती है ? जब से आत्माएं ब्रह्म से दूर हुई – ब्रह्मांडीय सफर के कारण उनके अंदर अशुद्धियां भर गई | इन्हीं क्लेशों को खत्म करने के लिए साधकों को ध्यान में उतरना पड़ता है | अपने अंदर की अशुद्धियां आत्माएं स्वयं नष्ट नहीं कर सकती – इसके लिए उनके द्वारा धारित शरीर (यानि मनुष्य) को ध्यान में उतरना होता है |
2.. इसी बात को हम दूसरी दृष्टि से देखें – हर मनुष्य का जन्म के समय से मस्तिष्क लगभग बंद है | आम इंसान अपने मस्तिष्क का 2~3% ही इस्तेमाल करता है | बंद पड़ा हिस्सा सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म में ध्यान में उतरकर खोला जा सकता है | किसी भी धार्मिक कर्मकांडो या प्रयासों से बंद पड़े मस्तिष्क को खोला नहीं जा सकता |
3.. जो इंसान भौतिक जीवन में व्यस्त है और उसकी आध्यात्मिक रुचि नहीं तो वह अपने भौतिक ज्ञान से मस्तिष्क का ज्यादा से ज्यादा 2~3% और हिस्सा खोल सकता है | कहा जाता है वैज्ञानिक Albert Einstein अपने दिमाग का 5~6% इस्तेमाल करते थे – ज्यादा वो भी नहीं |
4.. तो ध्यान में हमें अपने बंद पड़े मस्तिष्क के 97% हिस्से को खोलना है | यह तभी संभव है जब हम 3 क्रियाएं सक्षमता से करें | a)- कर्म निष्काम भाव से करें तो क्लेश स्वतः धीरे धीरे कम होने चालू हो जाएंगे | b)- अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करें, इससे कुण्डलिनी जागृत होगी और क्लेश स्वतः कम होंगे | c)- ध्यान में महर्षि रमण द्वारा प्रतिपादित माध्यम से उतरें – यानि self enquiry (नेति नेति) के द्वारा अपने अंदर आते हजारों प्रश्नों को जड़ से निरस्त करें |
5.. 9 वर्ष की आयु से मैंने नेति नेति के द्वारा हर प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ उसे जड़ से खत्म किया – प्रश्न जैसे – मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, ब्रह्म या आत्मा से क्या नाता है आदि आदि | जब प्रश्न खत्म होने शुरू हो गए तो कर्मों की निर्जरा शुरू हो गई और 12 वर्ष की तपस्या का फल – 1993 में 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार |
ब्रह्म से मुलाकात उसी अवस्था में होती है जब आपका brain (मस्तिष्क) 100% active हो जाए, पहले नहीं | ध्यान की 12 वर्ष की अखंड तपस्या है तो मुश्किल, असंभव नहीं | यह ध्यान ही है जो मस्तिष्क के बंद पड़े 97% हिस्से को खोल सकता है | यह कला विदेशियों के पास नहीं – तो intelligent कौन – गोरी चमड़ी या भारतीय ?
महावीर (जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर) ने एक टीले के ऊपर खड़े होकर 12 साल तपस्या की और तत्वज्ञानी हो गए | बुद्ध ने यही काम बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर किया और कैवल्यज्ञान के स्वामी बने |
सही प्रकार ध्यान की प्रक्रिया नीचे दिए वीडियो में भलीभांति समझाई गई है – 700 करोड़ का मंत्र भी free | सच्चा साधक अगर ध्यान की प्रक्रिया को समझ पाए तो स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस बनने में 12~14 साल ही लगेंगे और अंततः मोक्ष मिल जाएगा (मोक्ष यानि – जन्म और मृत्यु चक्र से हमेशा के लिए मुक्ति) |
ध्यान रहे – सही ध्यान बेरोकटोक 24 घंटे किया जाता है – बिना किसी विघ्न के – वीडियो में देखें | मैं दो शिफ्ट office चलाता था (16 घंटे) लेकिन ध्यान हर समय चलता रहता था | कभी कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani