आम मनुष्य पांचों इंद्रियों और मन के वशीभूत हो काम करता है | यही इंद्रियों इंसान को विभिन्न विषयों की ओर लालायित करती हैं | हम पशु योनि से मनुष्य योनि में आएं है | Negative कार्यों की ओर मन पहले जाता है क्योंकि इससे हमारी मैं (अहम) को संतुष्टि मिलती/ दिखाई देती है | जब तक हम आध्यात्मिक नहीं होंगे नेगेटिव विचारों से घिरे रहेंगे |
आपने देखा होगा लगभग सभी स्त्रियों को चाट खाने का बेहद शौक होता है – भले ही तबीयत खराब हो जाए लेकिन चाट खायेंगी जरूर – ऐसा इसलिए होता है उनकी जिव्हा (taste bud) उनके कंट्रोल में नहीं होती | सत्य/ धर्म के रास्ते पर चलना ज्यादा कठिन होता है और नकारात्मक बातों में उलझना आसान |
मनुष्य की पूरी जिंदगी इन्हीं positive और negative विचारों के बीच घूमती रहती है | इसे ही समुद्र मंथन कहा गया है |
Samudra Manthan ki gatha | समुद्र मंथन की गाथा | Vijay Kumar Atma Jnani