हमारी तकदीर पहले लिखी जा चुकी है या हम तकदीर खुद लिखते हैं ?


इंसान का जीवन क्रम एक accountant द्वारा लिखे बहिखाते की तरह चलता है | अगर आज का closing balance Rs. 981/= तो अगले दिन का opening balance भी Rs. 981/= ही रहेगा | इसमें ब्रह्म (business में लालाजी) भी दखलंदाजी नहीं करते या कर सकते | इसी प्रकार मानव जीवन में पिछले जन्म का closing balance तय करता है हम कहां जन्म लेंगे और जीवन कैसा गुजरेगा |

 

हम 981/= के balance पर पैदा हो गए और वर्तमान में कुछ भी कर्म न करें तो जीवन का balance 981/= ही रहेगा और हम तकदीर के गुलाम रहेंगे | इसके विपरीत एक कर्मयोगी वर्तमान में कर्म करके 25/= कमाता है तो शेष हो गया 1006/= यानि हमने अपनी तकदीर खुद लिखनी शुरू कर दी | हमारी तकदीर में तो 981/= लिखा था लेकिन एक कर्मयोगी दिन प्रतिदिन अपनी किस्मत बदलने लगता है | जब balance ही change हो गया तो जीवन की बागडोर हमारे हाथ आ गई – हम किस्मत के भरोसे बैठना बंद कर देंगे |

 

जब हम पैदा होते हैं तो तकदीर से बंधे हैं – कहां जन्म होगा भारत में या US, किस के घर जन्म लेंगे – इसमें हम कर्म करके छेड़छाड़ नहीं कर सकते लेकिन होश संभालने के बाद जीवन की डोर खुद के हाथों में ले सकते हैं | कई लोग अपनी पतंग की बागडोर दूसरे के हाथों में दे देते हैं – जैसे हम जीवन में अपनी पतंग की बागडोर माता पिता के हाथ रहने दे और जीवन भर उन पर पर आश्रित होकर जिएं |

 

ज्योतिष शास्त्र कर्म प्रधान है | कर्म बड़ा या भाग्य | Astrology and Karma theory | Vijay Kumar

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