अगर ईश्वर की नज़र हर वक्त हर जगह पर है तो इंसान जुर्म क्यों करता है ?


नास्तिक होना पाप कर्म की category में नहीं आता | जब आपने कोई पाप किया ही नहीं तो आपको कर्मों की दुनियां में negative marking क्यों मिलेगी ? आप आस्तिक हैं भगवान के होने में विश्वास रखते हैं अच्छी बात है | लेकिन अगर आप भगवान के होने में इसलिए विश्वास नहीं रखते क्योंकि वह साकार नहीं, दिखाई नहीं देता, तो ऐसा करने से हमें पाप थोड़े ही लगेगा |

 

क्या पाप है और क्या पुण्य यह हमारे कर्म तय करते हैं न कि हमारी सोच | Negative सोच पाप का कारण बन सकती है लेकिन नास्तिक होना नहीं |

 

पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani

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