भगवान की बनाई हुई सृष्टि है | जब तक हम मनुष्य हैं – दोनों अच्छे और बुरे कर्मों में लिप्त रहेंगे | यही भगवान/ सृष्टि का नियम है | जिस दिन इंसान अध्यात्म में उतर महर्षि रमण बन जाता है उसे बुरे कर्मों में लिप्त होने की आवश्यकता ही नहीं रहती | कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर वह स्वयं मानव भगवान की श्रेणी में आ जाता है |
जो इंसान पूर्णतया आध्यात्मिक नहीं, भगवान में विश्वास होते हुए भी वह कभी न कभी गलत काम करेगा ही | ऐसा ही भगवान का नियम है – कभी सही और कभी गलत करते हुए जीवन में आगे बढ़ना और अंततः महर्षि रमण के level पर पहुंचना | अगर हम बुरा नहीं करना चाहते तो हमे आध्यात्मिक सफर में उतरकर ब्रह्म की ओर बढ़ना चाहिए |
पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani