भौतिक जीवन हो या आध्यात्मिक, पुण्य कर्म करना ही हमारी नियति होनी चाहिए | कर्म तो पूरे ब्रह्मांड का accountant general की तरह काम करता है, हर पल का लेखा जोखा | जैसा बोएंगे वैसा ही तो काटेंगे |
अध्यात्म वह सीढ़ी है जिसपर चढ़कर साधक आत्मज्ञानी बनता है | अध्यात्म मतलब महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बनना | अध्यात्म की राह पर चलने के लिए निष्काम कर्मयोग में उतरना पड़ता है | तभी कर्मों की निर्जरा संभव है |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani