यह automated process है, किसी को कुछ नहीं करना होता | धरती पर मृत्यु होती है, free हुई आत्मा को मृत्यु के समय के karmic balance के आधार पर नया शरीर मिल जाता है | परेशानी तब होती है जब matching parents पूरी धरती पर उपलब्ध नहीं हों | ऐसे में आत्मा स्वर्ग या नर्क में वास करती है उस समय तक जब तक धरती पर matching parents उपलब्ध न हो जाएं |
जैसी ही धरती पर matching parents उपलब्ध हो जाते हैं आत्मा नया शरीर धारण कर आगे बढ़ जाती है | और यह जीवन चक्र मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों तक चलता रहेगा जब तक मनुष्य अध्यात्म की राह लेकर मोक्ष न ले ले | मोक्ष के उपरांत जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से मुक्त हुई शुद्ध आत्मा को फिर मनुष्य शरीर धारण करने में कोई प्रयोजन नहीं रहता |
1.1 million manifestations in Human form? मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर | Vijay Kumar