एक दिन हम सबको नष्ट होना है तो जन्म ही क्यों हुआ ?


सोच में त्रुटि है | मरें हमारे दुश्मन | भगवद गीता में कृष्ण स्पष्ट कहते हैं – हम शरीर नहीं आत्मा हैं | जब मौत आएगी शरीर नष्ट हो जाएगा | इसलिए हिन्दू धर्म में मरे हुए शरीर को जला देते हैं, गाड़ते नहीं | अब हम आत्मा हैं तो हैं, इसमें हमारा क्या दोष | भगवान ने बनाया तो आ गए | मुद्दे की बात यह है कि हम अशुद्धियों से घिरे हैं और इस वजह से हमें ८४ लाख योनियों के फेर से गुजरना पड़ता है |

 

हम मनुष्य पैदा हुए और मनुष्य भव में ११ लाख योनियां हैं | और हमारा लक्ष्य है जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्ति | कुछ लोग सोचते हैं आत्म दाह (सुसाइड) करके मुसीबत से छुटकारा पा लें | गलत | इस तरह मुक्ति नहीं मिलती | उल्टा suicide करने के कारण हमारा अगला जीवन और भी तकलीफदेह होगा | हम भारतीय हैं, गलत काम बिल्कुल भी नही |

 

भारतीय होने के नाते हमें ज्ञात होना चाहिए हमारे पास हमारी मां भगवद गीता के रूप में हमेशा विद्यमान है | तकलीफ में बच्चे को मां ही तो देखती है | अगर जीवन में या जीवन से तकलीफ ज्यादा है तो उतर जाओ अध्यात्म के सागर में और इसी जन्म में महर्षि रमण बन मोक्ष पा जाओ |

 

What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.