नहीं, यह हमारा पहला और आखिरी जन्म है | हम मनुष्य एक ही जीवन के लिए आते हैं | अगला शरीर तो हमारी आत्मा धारण करेगी, हम नहीं | इस जन्म में दो इंसान पति पत्नी हैं लेकिन अगले किसी जन्म में जब उन्हीं दोनों आत्माओं की मुलाकात होती है तो हो सकता है एक दादा हो और दूसरा एक छोटी सी बच्ची पाश्चात्य जगत में |
आप विदेशी दौरे पर अपने मित्र से मिलने गए और उसके घर पर उस विदेशी छोटी बच्ची से मुलाक़ात हुई | मिलकर अच्छा तो लगा क्योंकि आप दोनों की आत्मा ने पहले जन्मों में पति पत्नी का रूप जो धारण किया था | लेकिन इस मुलाक़ात से ज्यादा और कुछ रिश्ता नहीं | यह पुराने संबंधों का मिलना चलता रहेगा जब तक कर्मबंधन टूट न जाए/ खत्म न हो जाए |
जीवन में कब किस से मुलाक़ात हो जाए, मालूम नहीं | चूंकि पिछले जन्म/ रिश्तों का कुछ भी याद नहीं रहता इसलिए कभी पीछे मुड़ कर देखना नहीं चाहिए | जो गुजर गया उसे क्या याद करना ? जो वर्तमान में बस में है उसमे उलझना चाहिए | भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है और आगे भी जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा |
इसलिए जीवन के हर पग पर अर्जुन की तरह अपनी will power और विवेक का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar