मनुष्य बार-बार जन्म लेकर संसार में आता है फिर यह क्यों कहा जाता है जिन्दगी न मिलेगी दोबारा ?


मनुष्य बार बार जन्म नहीं लेता | मनुष्य शरीर तो आत्मा धारण करती है | मान लीजिए – इस जन्म में हम क्षत्रिय परिवार में भारत में पैदा हुए | तो हमारे लिए यह पहला और आखिरी जन्म है | हमें जो कुछ करना है – अगर आध्यात्मिक रास्ते पर चलकर ब्रह्म को पाना है तो सब इसी जन्म में करना होगा |

 

हमारी मृत्यु के बाद, आत्मा मृत्यु के समय के karmic balance के आधार पर नया शरीर धारण करेगी | अगर वह नया शरीर किसी स्त्री का हुआ और वह भी पाश्चात्य जगत में – तो इस बात की क्या guarantee है कि Christian परिवार में लेडी पैदा होकर आप अध्यात्म का रास्ता पकड़ें ?

 

ज्यादा उम्मीद इस बात की है कि आप अपने रास्ते जाएं और ज्यादा से ज्यादा BF बनाएं ? काहें का अध्यात्म और कौन ब्रह्म ?

 

जिंदगी न मिलेगी दोबारा – वाकई में एक अच्छी कहावत है | इसलिए जो करना है अभी इस जीवन में कर लो, आखिर भारत में पैदा होना कोई आम बात थोड़े ही है – इसलिए किवदंती है – भारत में पैदा होने को देवी देवता भी तरसते हैं |

 

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