वेदों और उपनिषदों में प्रतिपादित ब्रह्माण्ड की रचना का सम्पूर्ण विवरण इतना clear, इतना गहरा है कि पाश्चात्य जगत के scientists big bang theory को आज तक नहीं समझ पाए | एक भी आविष्कार, एक भी प्रतिभाशाली काम आज तक पाश्चात्य जगत के scientists ने नहीं किया, जो किया वह भारत से चुराया |
Big Bang Theory का सटीक विवरण वेदों/उपनिषदों में बहुत अच्छे ढंग से प्रतिपादित है | Big Bang Theory के मूल में एक concept आता है Singularity का | Scientists आज तक यह नहीं जान पाए हैं कि यह सिंगुलैरिटी है क्या ?
उपनिषदों में सभी बातें ब्रह्म से जुड़ी हैं | क्या ब्रह्म ही वह Singularity तो नहीं हैं जिनके explosion से पूरे ब्रह्मांड का निर्माण होता है ? ब्रह्म, ब्रह्माण्ड – दोनों synchronised भी हैं | जी हां – ब्रह्म यानि अस्थ अंगुष्ठ का आकार ही वह Singularity है जिनके प्रस्फुटित होने से ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है |
ब्रह्मांड बनाने के लिए ब्रह्म खुद को प्रस्फुटित करते हैं – है न विचित्र बात, पर सोलह आने सच | जैसे ही Big Bang के द्वारा भगवान (ब्रह्म) खुद को फोड़ते हैं, सारी आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में फ़ैल जाती हैं | इसीलिए कहावत है – कण कण में भगवान व्याप्त हैं | और हो जाती है एक नए ब्रह्माण्ड की शुरुआत |
Big Bang theory सिर्फ और सिर्फ नए ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे होती है उसका विवरण है | उपनिषदों के अनुसार ब्रह्माण्ड की फैलावट बढ़ती जा रही है, आज भी | फैलते हुए ब्रह्माण्ड के साथ आत्माएं भी अपने ब्रह्मांडीय सफर में अशुद्धियां ग्रहण कर लेती हैं | और शुरू हो जाता है आत्माओं का 84 लाख योनियों का सफर |
अब प्रश्न उठता है ब्रह्म को खुद को फोड़ने की जरूरत ही क्यों पड़ी | यह बात हम समझेंगे पहले ब्रह्माण्ड से | जब पिछला ब्रह्माण्ड खत्म होने को है यानी प्रलय आ गई है तो पूरा ब्रह्माण्ड तेज़ी से सिमटने लगता है | और सिमट कर आधे अंगूठे के आकार में आ जाता है |
कहने का तात्पर्य यह है कि प्रलय के समय हर आत्मा शुद्ध रूप में आ जाती है, 84 लाखवी योनि, यानी हर जीव को मोक्ष | बिना जड़ तत्व के, चेतन सिर्फ अस्थ अंगुष्ठ का आकार लेता है | पूरे ब्रह्माण्ड की आत्माएं – आधे अंगूठे में समा जाती हैं, है न कमाल !
यह अस्थ अंगुष्ठ का आकार, जिसे हम ब्रह्म पुकारते हैं, शुद्ध रूप में स्वयं को रोक नहीं पाता और Big Bang के द्वारा फटता है और उत्पन्न होता है नया ब्रह्माण्ड |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani