इस जन्म में आपने जो परिश्रम किया और उसका जो कर्मफल उत्पन्न हुआ – उसके निमित्त जो आपको मिलना था वो मिला लेकिन झोले में दुख ही हाथ आया | ऐसा क्यों ?
आपने जो कर्म किया मान लीजिए उसका कर्मफल जो आपको मिलना है वह karmic index अनुसार +2 है | लेकिन उसी समय आपका प्रारब्ध संचित कर्मफल फलित हो गया जो पिछले जन्मों से चला आ रहा है और जो -14 है | तो आपका net karmic index हुआ -12 और इस negative संचित कर्मफल के कारण आप तब तक तकलीफों में रहेंगे जब तक यह 0 (zero) नहीं हो जाता |
पिछले जन्मों का नेगेटिव प्रारब्ध यूहीं खत्म नहीं होगा | आपको इस जन्म में पुण्य कर्म करके कर्मफल +12 उत्पन्न करना होगा | मेहनत तो करनी होगी | पिछले जन्मों में पापकर्म किए हैं तो परिणाम भुगतना ही होगा – कोई चारा नहीं |
इसका दूसरा रूप देखिए – एक व्यक्ति इस जन्म में महा पापी बनकर खूब पापकर्म करने में लगा रहता है | उसका इस जन्म का karmic index है -4 लेकिन उसके घर में खुशियां ही खुशियां | उसका पिछले जन्मो का संचित प्रारब्ध कर्मफल है +22 तो क्या होगा ? Net karmic index +18 होने की वजह से हमेशा झोली में खुशियां ही बटोरेगा |
हमे लगेगा वह पापी होकर खुश रहता है और हम अच्छे कर्म करके भी दुखी | कारण है पिछले जन्मों का प्रारब्ध कर्मफल | इसी कारण भगवद गीता में कृष्ण इस बात पर जोर देते हैं कि हमें हर समय पुण्य कर्म ही करने चाहिए | कम से कम प्रारब्ध तो अच्छा रहेगा |
What is Prarabdha Karma | प्रारब्ध कर्म क्या होता है | Vijay Kumar Atma Jnani