शरीर में आत्मा निवास करती है फिर प्रारब्ध कैसे प्रभावित करता है ?


आत्मा चेतन तत्व है | जैसा कर्म शरीर (मनुष्य) ने किया वैसा कर्मफल उत्पन्न हुआ | जो कर्मफल उत्पन्न हुआ उसमें से ज्यादातर तुरंत नए कर्मों को उत्पन्न करने की ओर प्रेषित हो जाता है और कुछ अंश प्रारब्ध बन जाता है जो कभी भविष्य में फलित होगा |

 

आत्मा का कर्म करने या न करने में कोई दखल नहीं | वह तो एक मूक दृष्टा की भांति सब देखता रहता है | आत्मा शरीर में नहीं सूर्य के गर्भ में स्थित है | वहीं से remote control से हृदय को चलाती है |

 

जब से ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ, यह कर्म theory के आधार पर ही खुद को आगे बढ़ाता है | कर्म theory ब्रह्माण्ड के accountant general की तरह काम करती है – हर पल का लेखा जोखा इसमें recorded है | प्रारब्ध भी उसी का एक हिस्सा है |

 

What is Prarabdha Karma | प्रारब्ध कर्म क्या होता है | Vijay Kumar Atma Jnani

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