आज के समय में अखंड ब्रह्मचर्य का पालन बेहद मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं | कोई भी आध्यात्मिक साधक जो पूर्ण सत्य की राह पर चलने के लिए तैयार है वह सफलतापूर्वक इस सफर को पूरा कर सकता है | पूर्ण सत्य यानि मौत का भी डर नहीं |
मैं 5 वर्ष की आयु में सत्य की राह पर चला और चलता ही गया | कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा | 6 1/2 वर्ष की आयु में भगवान की खोज शुरू की | 8 वर्ष की आयु में जब भगवान (ब्रह्म) ने finally पूछा मेरे पीछे आना चाहता है, तो मैंने 6 महीने यूं ही गुज़ार दिए |
8 1/2 वर्ष की आयु के लगभग ब्रह्म ने एक दिन की मोहलत देकर कहा, सोच और फाइनल बता – जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए निकलना चाहता है, तो अगले दिन प्रभु की दस्तक से पहले मैं तैयार बैठा था | जैसे ही ब्रह्म ने दस्तक दी – मुंह से निकला हां, हां और हां | और मेरा आध्यात्मिक सफर खुद ब्रह्म की देखरेख में शुरू हो गया |
ब्रह्म की देखरेख से मेरा मतलब – लगभग 7 1/2 वर्ष की आयु में जब मुझे अपने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे थे | दादा, दादी और गांव के सभी बुजुर्गों से पूछ लिया तो मैंने अपने हाथ खड़े कर दिए | अत्यंत गुस्से में भगवान से बोला, सारी कोशिशों के बाद मुझे कोई गुरु नहीं मिल रहा, और अनायास मुंह से निकला, क्या आप मेरे गुरु बनोगे ? ब्रह्म तो जैसे पहले से ही तैयार बैठे थे – बोले, हां क्यों नहीं |
मेरे मुंह से निकला, पहले नहीं कह सकते थे, इतना परेशान हो गया था मैं | ब्रह्म हंस कर बोले, तूने पूछा ही नहीं | और मेरी दोस्ती ब्रह्म के साथ शुरू हो गई | मुझे ब्रह्म पर पूरा विश्वास था (5 वर्ष में घटी घटना के कारण) और उन्हें मुझपर | मैं यह सोच सोचकर कितना खुश था कि गुरु मिल गया guide करने के लिए |
पूरी धरती पर उस समय तक शायद ही किसी ऋषि की ऐसी दोस्ती ब्रह्म से हुई हो, जैसी मेरी थी | कैसे तू तू करके मैं उससे बात करता था और वो अक्सर हंस कर, खिलखिलाकर जवाब देता था | वाह रे ब्रह्म तू भी निराला है और तेरी दुनिया भी | ब्रह्मचर्य की practice चलती रही, IIT से engineering की, शादी हुई, पूरा परिवार है |
शादी से पूर्व होने वाली पत्नी को और ससुर को साफ कहा दिया, रिश्ता करने से पहले दो बार सोच लो, आध्यात्मिक आदमी हूं, 24 के लगभग 12 वर्ष की अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या में उतर जाऊंगा, बाद में मत कहना | शादी हुई और पत्नी से कहा, जो बच्चे करने हैं निबट लो, 24 से अपने रास्ते चला जाऊंगा और फिर 12 साल तक भाई बहन |
24 से शुरू हुई अखंड ब्रह्मचर्य और ध्यान की तपस्या और 37 साल की अवस्था में 3 अगस्त 1993 को 2 1/2 घंटे ब्रह्म का साक्षात्कार | पहली योनि से 84 लाखवी योनि का दृश्य उन्होंने दिखाया और ठीक 4.15 am पर 3 पन्नों का dictation देकर ब्रह्म अंतर्धान हो गए | उन पन्नों को पढ़ने के बाद मालूम चला मुझे क्या प्राप्त हुआ है |
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani