जब एक साधक निश्चित कर लेता है कि वह अध्यात्म के मार्ग पर बेरोकटोक जाएगा तो 12 वर्ष के अखंड ब्रह्मचर्य का पालन तो उसकी मजबूरी है | और 12 साल के अखंड ब्रह्मचर्य उपरांत अगर वह तत्वज्ञानी बन जाता है तो ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद वह ब्रह्मचारी रहेगा या नहीं यह सिर्फ उस केवल्यज्ञानी पर निर्भर करता है |
आध्यात्मिक जीवन की जो जरूरत थी वह तो उसने पूरी कर दी, उसके बाद वह पूरी तरह से स्वतंत्र है अपना जीवन जीने के लिए | सहस्त्रार खुलने के बाद, कली के पुष्प बनने के बाद उसे वापस कली नहीं बनाया जा सकता | लेकिन ब्रह्म दर्शन के बाद, कोई साधक स्त्रियों के साथ संसर्ग भला क्यों करेगा ?
Mental purity भी कोशिश करके maintain करेगा | Mental purity यानि मानसिक ब्रह्मचर्य | ये मानसिक ब्रह्मचर्य ही तो है जो ज्यादा कठिन है | physical ब्रह्मचर्य तो ज्यादा मुश्किल नहीं | अध्यात्म सिर्फ 12 साल की अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या मांगता है, उससे ज्यादा नहीं | एक आम साधक से स्वामी विवेकानंद की स्थिति में पहुंचने के लिए 12 वर्ष का अखंड ब्रह्मचर्य का पालन अपेक्षित है |
What is the concept of Brahmacharya? ब्रह्मचर्य क्या है | Vijay Kumar Atma Jnani