सन्यासी ब्रह्मचारी हो जरूरी तो नहीं | ब्रह्मचारी सन्यासी हो यह भी जरूरी नहीं | जीवन के किसी भी मोड़ पर कोई भी इंसान ब्रह्मचर्य पालन की दुनिया में कदम रख सकता है | अगर शादी के बाद हम 12 साल के अखंड ब्रह्मचर्य में उतरना चाहते हैं तो पत्नी की इजाज़त अनिवार्य है | आप बुद्ध वाली गलती दोहरा नहीं सकते – सोती हुई पत्नी और बच्चे के पैर छुए और निकल लिए |
ब्रह्मचर्य के पालन के लिए किसी की परमिशन की जरूरत नहीं – लेकिन गृहस्थ जीवन से बंधे हैं तो इजाज़त लेनी होगी या आश्रित बूढ़े मां बाप हैं तो भी | अध्यात्म की राह पर चलने वाला साधक जब ब्रह्मचर्य पालन में उतरता है तो मोह भी त्यागता चलता है | ऐसे में घर परिवार का ध्यान कौन रखेगा ?
सन्यास और ब्रह्मचर्य पालन दोनों अलग अलग क्रियाएं हैं | सन्यास धारण का मतलब हमने सामाजिक जिम्मेदारियों से विरक्ति ले ली | ब्रह्मचर्य पालन में हम अपनी शारीरिक ऊर्जा को कुंडलिनी जागरण की ओर केंद्रित करते हैं और अन्दर आते negative विचारों को भी हमेशा के लिए अस्त करने की कोशिश करते हैं |
How to indulge in Spirituality when married | गृहस्थ जीवन में अध्यात्म का रास्ता कैसे पकड़ें