कैसे प्रमाणित हो कि परमात्मा सर्वत्र है ?


परमात्मा कौन हैं ये आध्यात्मिक दृष्टि से देखें | ब्रह्माण्ड में व्याप्त सभी आत्माएं प्रलय के बाद जब अपने शुद्ध रूप में आ जाती हैं तो अस्थ अंगुष्ठ का आकार लेती हैं – सरल शब्दों में कहें तो पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर आधे अंगूठे के आकार में आ जाता है | क्या है यह आधे अंगूठे का सच ?

 

इस आधे अंगूठे के आकार में शुद्ध हुई आत्माओं के झुंड को सनातन श्रुति किस नाम से पुकारती हैं – परमात्मा, ब्रह्म, पिता परमेश्वर, कर्ता, सनातन पुरुष इत्यादि | यही ब्रह्म अपनी शुद्ध अवस्था में स्वयं को एक क्षण के लिए भी रोक नहीं पाते और Big Bang के द्वारा अपने आपको फोड़ते हैं और उत्पन्न होता है एक नया ब्रह्माण्ड !

 

इस क्रिया में सभी आत्माएं पूरे ब्रह्माण्ड में फ़ैल/ व्याप्त हो जाती हैं | इसीलिए कहा जाता है प्रभु कण कण में व्याप्त हैं | जब धरती जैसी विभूतियां अस्तित्व में आती हैं तो आत्माओं का स्वयं के अंदर निहित क्लेश खत्म करने के लिए शरीर धारण का क्रम शुरू हो जाता है – 84 लाख योनियों का सफर |

 

इसी आधे अंगूठे के आकार को पाश्चात्य जगत Singularity के नाम से पुकारता है | क्या पाश्चात्य जगत कभी भी ब्रह्म (भगवान) की इस असलियत को समझ पाएगा – कभी नहीं, दंभी गोरी चमड़ी – वैदिक अज्ञानता से भरपूर !

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