क्या माता और पिता से ज्यादा प्यार और दुलार ईश्वर से मिल सकता है ?


प्यार और दुलार भौतिक क्रियाएं हैं – जो सिर्फ माता पिता ही दे सकते हैं | अगर हम सकारात्मक विचार से ओतप्रोत होकर प्रभु से कुछ मांगते हैं तो वह भी कभी कभी हमारी झोली में आ गिरता है | जब भी हम भगवान का नाम लेते हैं तो एक बात का ध्यान रखें – ब्रह्म उसी को देते हैं जो खुद से ज्यादा औरों के बारे में सोचते हैं | जैसे भौतिक जगत के सम्राट JRD Tata या आध्यात्मिक जगत के राजा जनक (सीता के पिता) और महर्षि याज्ञवल्क्य के परम शिष्य |

 

JRD Tata को जीवन में खूब मिला क्योंकि वह एक दिन भी खुद के लिए नहीं जिए | JRD Tata एक कर्मठ कर्मयोगी थे जो हर समय पूरी दुनियां के जीवों के बारे में सोचते थे | यही मिसाल Tata organization ने स्थापित की है | Tata Empire का अचूक मंत्र है – तुम एक अमानती (trustee) हो – तुम्हारा अपना कुछ भी नहीं, सब हमेशा से प्रभु का है और रहेगा और इस प्रकार अमानत को आगे बढ़ाते हुए Tata Organization आगे बढ़ता रहता है |

 

अगर हम अध्यात्म में उतरना चाहते हैं तो ही ब्रह्म की दुनिया में कदम रखें अन्यथा सकारात्मक सोच रखते हुए जीवन में आगे बढ़ जाएं | सकारात्मक सोच रखने वाले हर इंसान को समय समय पर भगवान की कृपा उद्दवेलित करती रहती है | विशेष कृपापत्र हम तभी बनते हैं जब पूर्णतया आध्यात्मिक हो जाएं | तब हम महर्षि रमण या रामकृष्ण परमहंस बनने का सपना देख सकते हैं |

 

ब्रह्म ने जब दुनिया बनाई तो कंट्रोल कर्म के हाथों में दिया – जैसा करोगे वैसा भरोगे | कर्म प्रधान दुनियां में हमारे कर्म ही लौट कर आते हैं | पुण्य कर्म खुशियां अर्जित करते हैं और पाप कर्म दुख | अगर हम जीवन में सुख शांति के साथ जीना चाहते हैं तो हमें हमेशा सकारात्मक विचार ही मन में लाने चाहिएं | माता पिता का आशीर्वाद भी तभी फलित होगा जब हम सकारात्मक विचारों के धनी होंगे |

 

How do you express Gratitude in words to God? भगवान की कृपा के प्रति कृतज्ञता | Vijay Kumar

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.