पूर्ण परमात्मा कौन है – उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?


पूर्ण परमात्मा को परमात्मा भी कह सकते हैं | एक आत्मा और ब्रह्मांड में व्याप्त सारी आत्माओं का गुच्छा परम आत्मा = परमात्मा | ईश्वर इष्ट धातु से जुड़ा है, देने के संबंध में, सो पूर्ण परमात्मा नहीं, न ही परमेश्वर | सनातन पुरुष – यह सही है | जो सनातन है हमेशा से exist करता है, अनादि है | और पुरुष जिसके बिना नारी अधूरी है | ऐसा पुरुष जो creator है, बिना पुरुष के नारी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती | तो सनातन पुरुष, परमात्मा एक ही हुए | रह गया ब्रह्म – ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने वाला |

 

भारतीय शास्त्रों में पूर्ण परमात्मा ब्रह्म के लिए इस्तेमाल होता है जिसे हम परमात्मा और सनातन पुरुष भी कह सकते हैं |

 

भारतीय दर्शन शास्त्र कहते हैं ब्रह्म खुद को प्रस्फुटित करते हैं तो ब्रह्माण्ड उत्पन्न होता है | ब्रह्माण्ड उत्पन्न हो गया यानी सभी आत्माएं पूरे ब्रह्माण्ड में फ़ैल गईं | अपने ब्रह्मांडीय सफर में आत्माओं ने अशुद्धियां ग्रहण कर ली | और आत्माओं द्वारा शुरू हो गई एक ऐसे ग्रह की खोज जहां वे अपना 84 लाख योनियों का सफर शुरू कर सकें | जैसी ही धरती मां ठंडी हुई और conducive हुई आत्माओं को संरक्षण देने के लिए, आत्माओं ने धरती पर जीवन शुरू किया | आत्माओं ने सबसे पहली योनि ली अमीबा की, single cell formation (एक इन्द्रिय जीव) |

 

लगभग 10 ~ 12 वर्ष पहले मुझे e-mail आई Prof Sinha, Delhi University की, कि कुछ समय पहले उनकी खोज पूरी हुई और यह बात पक्की है कि आत्मा पहली योनि अमीबा की लेती है | उनके पास इस बात का laboratory में की गई research का proof है | वे आश्चर्यचकित थे मुझे इतने पहले से कैसे मालूम कि आत्मा सबसे पहले अमीबा का form लेती है |

 

एक इन्द्रिय जीव के बाद दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय और आखिर में पांच इन्द्रिय मनुष्य योनि | अमीबा से कीट पतंगों की योनि, फिर पेड़ो पौधों की योनि, पशु पक्षियों की योनि और अंततः मानव योनि | मनुष्य योनि तक पहुंचते पहुंचते आत्मा 73 लाख योनियों का सफर पूरा कर लेती है | मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां होती हैं और मनुष्य योनियों में हमें लगभग 1 करोड़ वर्ष की अवधि मिलती है ब्रह्म (परमात्मा) को प्राप्त करने के लिए | समय की कमी नहीं |

 

सबसे जरूरी बात – ब्रह्म को सिर्फ और सिर्फ आध्यात्मिक तरीके से पाया जा सकता है, धार्मिक अनुष्ठानों से नहीं | भक्ति का कोई भी स्वरूप परमात्मा तक पहुंचने में उपयोगी/कारगर नहीं | अब अध्यात्म क्या है, जिस रास्ते से ब्रह्मलीन हो सकते हैं, मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं ? रामकृष्ण परमहंस ने भक्ति के रास्ते ब्रह्म को पाने की पूरी कोशिश की (काली के परम भक्त/उपासक थे) लेकिन सफलता नहीं मिली | आखिरकार भक्तियोग से उन्होंने ज्ञानयोग में कदम रख ही दिया |

 

ज्ञानयोग यानि ध्यान (चिंतन) का रास्ता | ब्रह्म को पाने के लिए हमें कर्मों की पूर्ण निर्जरा करनी होगी, अर्थात अपने अंदर आते हर प्रश्न को जड़ से खत्म करना होगा और 12 वर्ष की ध्यान और अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या के बाद एक दिन ऐसा आएगा जब न तो एक विचार अंदर आएगा और न अंदर से बाहर जाएगा और शून्य की स्थिति आ जाएगी | यह stage है निर्विकल्प समाधि की | निर्विकल्प समाधि की अवस्था के बाद सहस्त्रार पूरी तरह खुल जाएगा और फिर होगा ब्रह्म से साक्षात्कार |

 

जो साधक किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठानों/प्रपंचों में लगे रहते हैं उन्हें यह सोचना चाहिए इस तरह के कार्यों से कर्मों की निर्जरा संभव नहीं, उल्टा हानि होती है | सोच कर देखिए, महर्षि रमण जिन्हें ब्रह्म का साक्षात्कार हुआ 1950 में शरीर छोड़ गए | 74 साल गुजर गए, 800 करोड़ में एक साधक को भी सही ध्यान करना नहीं आया |

 

समय रहते चेत् जाइए | 12 वर्ष का ध्यान और अखंड ब्रह्मचर्य कैसे करते हैं, दोनों वीडियो (मंत्र सहित) YouTube channel पर हैं | 700 करोड़ के मंत्र जो लगभग 3500 वर्ष पूर्व एक मंत्र ऋषिवर सिर्फ राजा को दिया करते थे 1000 स्वर्ण मुद्राओं में आज आपको free हैं सिर्फ इस उम्मीद से कि कोई साधक तो तैयार हो जिसका नंबर महर्षि रमण के बाद है | सच्चे साधक के लिए ये मंत्र 700 करोड़ के ही हैं | हिम्मत करके उतर जाइए अध्यात्म की राह पर | सच्चे साधक के लिए सिर्फ 24*7*365 उपलब्ध हूं |

 

5 वर्ष की आयु में भगवान की खोज में निकल गया, ब्रह्म से 5 वर्ष की आयु से साफ बात होती थी (शायद पिछले जन्म का योग होगा), 24 की आयु में 12 वर्ष की ध्यान और ब्रह्मचर्य की अखंड तपस्या शुरू की और 1993 में 37 वर्ष की आयु में 3 अगस्त सुबह 1.45 पर ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार | 1997 में इंटरनेट भारत में आया, तभी से शास्त्रीय ज्ञान english websites के through पूरे विश्व में बांट रहा हूं | 10 लाख से ज्यादा silent अनुयायी हैं जो सिर्फ articles पढ़ते रहते हैं | कहते हैं सही समय पर उठेंगे और साथ देंगे |

 

अब सिर्फ हिंदी में काम करूंगा भारतीयों के लिए | विडियोज YouTube पर उपलब्ध हैं और हिंदी में website (जो वक़्त पर चालू करने की कोशिश करूंगा) |

 

12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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