भारतीय दर्शन में शिव किसे represent करते हैं | शिव यानि एक तत्वज्ञानी, एक साधक जो अध्यात्म में ध्यान के रास्ते उतर आखिरकार ८४ लाखवी योनि में पहुंचने में सफल हो गया | शिव यानि जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए छुटकारा | पुराणों में वर्णित कोई भी कहानी या पात्र क्या सच है ? नहीं | वह तो अन्दर छिपे तत्व तक पहुंचने का जरिया हैं |
शिव भांग पीते हैं, यह बात सूचक है इस बात की, कि जो साधक ध्यान में उच्च level पर पहुंच चुका है उसका अहसास उस व्यक्ति से कम नहीं जो मादक पदार्थों का सेवन करता है | साधारण शब्दों में, अध्यात्म में उलझे साधक को जब ब्रह्मज्ञान होने लगता है तो आंतरिक खुशी, आनंद का जो अहसास उस समय होता है वह नशे की सबसे उच्च अवस्था से भी कहीं ज्यादा |
कोई भी नशा, या मादक पदार्थ उतना आनंद नहीं दे सकता जितना तत्वज्ञानी बनने पर होता है जैसे शिव | भगवान को पाने की चाह, उस तक पहुंचने की कोशिश इतना ज्यादा आनंददायक होती है कि कलपना भी नहीं की जा सकती | यह बात सिर्फ एक सच्चा साधक ही समझ सकता है जैसे रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण |
Samudra Manthan ki gatha | समुद्र मंथन की गाथा | Vijay Kumar Atma Jnani