नेति नेति शब्दावली का प्रयोग अध्यात्म में अगर किसी ने सही ढंग से किया है तो वह हैं महर्षि रमण | बचपन में पढ़ने और अत्यंत चिंतन मनन के बाद मुझे अन्दर से यह अहसास हुआ कि नेति नेति, self enquiry के प्रतिपादन में महर्षि रमण न तो गलत थे और जिस रास्ते पर चलकर उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ वह उसी पथ का प्रतिपादन ही तो कर रहे थे |
हाथ कंगन को आरसी क्या – मैंने उसी समय तय किया पूरे जीवन महर्षि रमण की बताई विधि follow करूंगा और गलत निकली तो change कर लूंगा | मैं गलत नहीं निकला – और नेति नेति के रास्ते चल पड़ा | तो यह नेति नेति आखिर है क्या ?
आदि शंकराचार्य के अद्वैत और doctrine of Maya को गहराई से जांचने के बाद यह मालूम चला कि वाकई में ब्रह्म के अलावा कोई दूजा पूरे ब्रह्मांड में नहीं | नेति नेति का शाब्दिक अर्थ है – यह नहीं, यह नहीं | शवासन की मुद्रा में लेटकर मैंने नेति नेति की प्रैक्टिस शुरू की | नेति नेति में हमें हर उस चीज को निरस्त करना है जो ब्रह्म नहीं |
मैंने जिस चारपाई पर लेटा था उसी से शुरुआत की | क्या यह चारपाई ब्रह्म है – नहीं नहीं, चारपाई में वह सामर्थ कहां कि वह ब्रह्म हो | क्या वह रोशनी करता बल्ब ब्रह्म है – नहीं नहीं | क्या यह कमरा ब्रह्म हो सकता है – नहीं नहीं | आखिरी क्षणों में – क्या हवा ब्रह्म हो सकती है | नहीं – हवा ब्रह्मांड का एक महत्वपूर्ण अंग (पंच महाभूतों में से एक) है लेकिन ब्रह्म नहीं हो सकती |
क्या सूर्य ब्रह्म है जहां सारी आत्माएं विराजमान हैं – नहीं, वह तो ब्रह्मांड का एक मूल्यवान अभिन्न अंग है लेकिन ब्रह्म नहीं हो सकता | इस तरह हम हर वस्तु को निरस्त करते जाएं | आखिर में जब सब वस्तुएं निरस्त हो जाएंगी तो क्या बचेगा – सिर्फ और सिर्फ ब्रह्म |
नेति नेति करने में दिन नहीं, हफ्ते नहीं, महीने भी नहीं – कई साल या दशक लग सकते हैं लेकिन हिम्मत नहीं हारनी है | लगभग 8~9 वर्ष की आयु से नेति नेति शुरू की और 28 साल पश्चात ब्रह्म से साक्षात्कार | क्या हमारे पास और कोई विकल्प है – तो मुढ़ कर क्या देखना ! पीछे वापस जाने के सारे रास्ते मैंने 7 वर्ष की आयु में ही बंद कर दिए थे – खुद पर न जाने क्यों इतना विश्वास था !
अक्सर ब्रह्म से कहा करता – रोकना हो तो रोक कर देख ले – फेल हो जाएगा | तेरा ही बेटा हूं, तेरा ही एक अंश – एक आत्मा – जीत कर दिखाऊंगा | और अंततः 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म मिलन हो ही गया – वह भी कुछ क्षणों, मिनटों के लिए नहीं – अब मैं हर क्षण ब्रह्म से बात कर सकता हूं और वह सुनते भी हैं |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani