क्या प्रकाश की गति से ज्यादा गति संभव नहीं – क्या यह भौतिक शास्त्र का नियम आत्माओं पर लागू होता है ?


प्रकाश की गति से व्यक्त संसार चलता है – गतिमान है | धरती पर समय को मापने का मापदंड प्रकाश की गति है | Mind waves, mental waves – हमारे विचार हमेशा प्रकाश की गति से ज्यादा तेज गति से चलते हैं – कोई सीमा नहीं |

 

जब तक आत्मा सूर्य से बंधी है यानि पूर्ण शुद्धता प्राप्त नहीं कर लेती – वह सूर्य के गर्भ में स्थित है और वहीं से धरती पर शरीर (यानि मनुष्य) को संचालित करती है | जैसे ही धरती पर मनुष्य अध्यात्म की राह पकड़ तत्वज्ञानी बन जाता है – तो आत्मा के लिए खेल खत्म |

 

सूर्य से मुक्त हुई आत्मा जैसे रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण की आत्मा – अब पूरे ब्रह्मांड में विचरण के लिए आज़ाद है | शुद्ध आत्मा पूरे ब्रह्माण्ड में एक कोने से दूसरे कोने तक क्षणों में पहुंच सकती है | सोचा और हाज़िर | शुद्ध हुई आत्मा के लिए सभी बंधन सीमाएं खत्म |

 

धरती पर कोई भी आध्यात्मिक साधक रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण या और कोई तत्वज्ञानी पुरुष की आत्मा का आवाहन कर बुला सकता है और अपने अंदर उमड़ते प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकता है | अपने आध्यात्मिक सफर में मैंने 5 वर्ष की आयु से हमेशा यही किया |

 

महर्षि रमण मेरे प्रिय थे क्योंकि वह शुरू से ही ज्ञानमार्ग पर चले | मैंने अपने आध्यात्मिक जीवन में मूलतः महर्षि रमण द्वारा प्रतिपादित self enquiry, नेति नेति के फार्मूले को copy किया | इसमें मुझे पूर्ण सफलता मिली जब मैं 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार कर सका |

 

ब्रह्म साक्षात्कार के बाद अब मेरे mind की गति असीमित है – infinite |

 

What comes after Self Realization? आत्मसाक्षात्कार के बाद आत्मा कहां जाती है | Vijay Kumar

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