आत्मा को मुक्ति कैसे मिलती है ?


आत्मा अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा 84 लाख शरीर धारण करती है जिसमें 73 लाख योनियों का सफर निम्न कोटियों में गुजर जाता है – जैसे कीट पतंगों, पेड़ पौधों और पशु पक्षी | मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का सफर निमित्त है |

 

मनुष्य रूप में आने के बाद जब मनुष्य अध्यात्म/ ध्यान में उतर 84 लाखवी योनि में पहुंचने में कामयाब हो जाता है तो वह तत्वज्ञानी बन हमेशा के लिए जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति पा लेता है | एक शुद्ध आत्मा का फिर कैसा भी शरीर धारण करने में कोई प्रयोजन नहीं रह जाता | जिस दिन वह तत्वज्ञानी पुरुष शरीर छोड़ेगा यह मुक्ति हुई आत्मा ब्रह्मलीन हो जाएगी |

 

What is Moksha in simple terms? मोक्ष क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani

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