अध्यात्म के रास्ते पर चलते हुए जब यह बात मस्तिष्क में अच्छी तरह जम गई कि हम एक आत्मा हैं न कि एक शरीर तो मृत्यु का भय जड़ से खत्म हो गया | समय जरूर लगा लेकिन मृत्यु का भय फिर लौटकर नहीं आया |
ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद तो स्थिति बिल्कुल दृढ़ हो गई | ब्रह्म ने मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर दिया है तो मृत्यु से डर कैसा | भगवद गीता में वर्णित है हम मूलतः एक आत्मा हैं न कि एक शरीर तो डर किस बात का | शरीर बदलता रहेगा लेकिन आत्मा अमर अजर है, हमेशा रहती है, प्रलय के बाद भी |
What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani