मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन परिवार के साथ रहती है ?


आत्मा हर तरह के बंधन से स्वतंत्र सूर्य के गर्भ में स्थित है | उसका न कभी कोई परिवार था, न आगे होगा | परिवार तो उस जीव, शरीर का था जो आत्मा ने धारण किया था | और जीव (मनुष्य) की मृत्यु के साथ वह रिश्ता भी खत्म | भगवद गीता में कृष्ण स्पष्ट कहते हैं हर आत्मा स्वतंत्र होती है और आत्माओं का आपस में कोई रिश्ता नाता नहीं होता |

 

जैसे ही इंसान मृत्यु को प्राप्त होता है तो मृत्यु के समय के karmic balance के आधार पर आत्मा तुरंत नया शरीर धारण कर लेती है | नया जीवन, सब कुछ दोबारा से शुरुआत – पिछले जन्म का कुछ भी याद नहीं | सारा system automated है – किसी के बस में नहीं | जिन्हे हम परिवार कह रहे हैं वह सब एक जीवन के लिए जुड़े हैं – अगले जीवन में फिर अलग |

 

यही बात तो कृष्ण ने अर्जुन को समझाई, उसके बाद मोह त्याग अर्जुन कौरवों से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया |

 

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