मोक्ष और स्वर्ग प्राप्त करना – दोनों में अंतर क्या है ?


हम आत्मा हैं तो अध्यात्म में कदम बढ़ाकर, मोक्ष प्राप्त करना हमारे जीवन का आखिरी लक्ष्य है | मनुष्य रूप में ११ लाख योनियां हैं, किसी भी योनि में यह कर सकते हैं | ब्रह्म की तरफ से खुली छूट | इसके विपरीत स्वर्ग की कल्पना अध्यात्म में नहीं | स्वर्ग कोई जाने की जगह नहीं | जानते हो स्वर्ग कहां है – सूर्य के गर्भ में – करोड़ों degrees centigrade temperature. जाओगे वहां या जाने के इच्छुक हो ?

 

सारी आत्माएं सूर्य के गर्भ में स्थित हैं | आत्मा का खुद का temperature करोड़ों degrees centigrade है | इसीलिए आत्माएं सभी मनुष्यों को सूर्य के गर्भ से remote control से operate करती हैं |

 

मां के गर्भ में बच्चा आ गया | अभी दिल धड़कना शुरू नहीं हुआ | कुछ समय पश्चात दिल धड़कना शुरू होता है जब आत्मा remote ON कर देती है | जब इंसान का वक़्त पूरा हो जाता है तो remote OFF. नए बच्चे का दिल कितने दिन बाद धड़कना शुरू होता है किसी gynaecologist से पूछ लेना |

 

स्वर्ग और नरक की कल्पना धार्मिक विचारधारा है | आखिर हर पंडित को भी रोटी रोज़ी का अधिकार है | क्योंकि अध्यात्म में स्वर्ग नरक का कोई स्थान नहीं, बाकी चर्चा अभी पर्दे के पीछे | आध्यात्मिक साधक के लिए इतना जान लेना काफी है जब धरती पर मृत्यु होती है, और अगर आत्मा को मैचिंग parents मिल जाते हैं तो वह तुरंत नया शरीर धारण कर लेती है अन्यथा जगह मिलती है स्वर्ग या नरक में |

 

अगर मरने के वक़्त karmic balance positive (पुण्य) तो सीधे स्वर्ग में, अन्यथा नरक में, जो सूर्य की सतह पर स्थित है | जैसे ही धरती पर matching parents उपलब्ध हो जाते हैं, वो hibernating आत्मा तुरंत धरती पर नया शरीर धारण कर लेती है |

 

What is Swarg Narak | स्वर्ग नरक कहां हैं | Vijay Kumar Atma Jnani

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