संसार चक्र यानि ८४ लाख योनियों का फेर | हर जीव (हर मनुष्य) का धरती पर एक ही गोल होता है – जल्द से जल्द ८४ लाखवी योनि में खुद को स्थापित कर लेना | क्योंकि मनुष्य ब्रह्माण्ड की सबसे उच्च योनि में स्थापित है तो जाहिर है यह काम मनुष्य ही कर पाएंगे |
मोक्ष यानि मायावी नगरी जिसे हम धरती मां कहते हैं, के चंगुल से हमेशा हमेशा के लिए निकल जाना | अर्थात कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर अपने शुद्ध आत्मस्वरुप में वापस लौट आना | जब हम एक शुद्ध आत्मा हैं तो मनुष्य शरीर की आवश्यकता कैसी ?
शुद्ध आत्मा हमेशा के लिए जन्म मरण के चक्रव्यूह से निवृत हो पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी विचरण करने के लिए free हो जाती है |
यह ज्ञान सिर्फ भारतीय दर्शन शास्त्रों में उपलब्ध है | धन्य है हर हिन्दू जो हमने भारतवर्ष में जन्म लिया |
What is Moksha in simple terms? मोक्ष क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani