योग वसिष्ठ में महाप्रलय में सबका मोक्ष बिना यतन हो जाता है – रामसुखदास कहते है अगर कारण शरीर से मोह न छूटे तो नहीं होता ?


योग वशिष्ठ एक प्रामाणिक ग्रंथ है जबकि रामसुखदास जी को तत्वज्ञान प्राप्त नहीं हुआ, उनके रामकृष्ण परमहंस के level पर पहुंचने में अभी वक्त है, शायद अगले जन्म में अपना आध्यात्मिक सफर पूरा कर महर्षि रमण के level पर पहुंच जाएं | उनकी गीता के ऊपर टीका स्पष्ट संकेत देती है | जो योग वशिष्ठ में लिखा है पूर्ण सत्य है बिना किसी शंका के |

 

प्रलय के समय हर आत्मा ८४ लाख में से चाहे किसी भी योनि में हो तो automatically चौरासी लाखवी योनि में स्थापित हो जाती है | क्या एक कच्चा बीज जो गुद्दे से घिरा हो उससे पेड़ उगाया जा सकता है ? नहीं | बीज को पकना ही होगा और वह भी बिना गुद्दे के | गुद्दा यानि जड़, चेतन तो स्वयं आत्मा या प्रभु ब्रह्म है |

 

उपनिषदों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि प्रलय के समय पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर अष्ट अंगुष्ठ (आधे अंगूठे) का आकार ग्रहण कर लेता है | यह वह समय है जब ब्रह्म अपने असली रूप में कुछ क्षणों के लिए ठहरते हैं और फिर big bang (एक बड़े बम की तरह) के साथ खुद को फोड़ लेते हैं नई सृष्टि की संरचना के लिए |

 

अगर अशुद्धियां जड़ से खत्म नहीं होंगी तो ब्रह्माण्ड की सारी आत्माएं सिमट कर अष्ट अंगुष्ठ के आकार में वापस कैसे आएंगी ? जिस प्रकार एक अधपके बीज से पेड़ नहीं उगाया जा सकता उसी प्रकार पुराने ब्रह्माण्ड को पूर्णतया नष्ट होना होता है |

 

जब ब्रह्माण्ड खत्म हो जाता है, जो शेष बचता है वह है शुद्ध आत्माओं का झुंड जिसे हम परमात्मा, ब्रह्म पुकारते हैं | यानि सिर्फ चेतन बचा रहता है | जड़ पदार्थ सब नष्ट हो जाते हैं |

 

What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.